- बालक के विकास की प्रक्रिया कब शुरू होती है – जन्म से पूर्व
- विकास की प्रक्रिया – जीवन पर्यन्त चलती है।
- सामान्य रूप से विकास की कितनी अवस्थाएं होती हैं – पांच
- ”वातावरण में सब बाह्य तत्व आ जाते हैं जिन्होंने व्यक्ति को जीवन आरंभ करने के समय से प्रभावित किया है।” यह परिभाषा किसकी है – वुडवर्थ की
- ”वंशानुक्रम व्यक्ति की जन्मजात विशेषताओं का पूर्ण योग है – बी.एन.झा का
- बंशानुक्रम के निर्धारक होते हैं – जीन्स
- कौन-सी विशेषता विकास पर लागू नहीं होती है – विकास को स्पष्ट इकाइयों में मापा जा सकता है।
- शैशव काल का नियत समय है – जन्म से 5-6 वर्ष तक
- बालक की तीव्र बुद्धि का विकास पर क्या प्रभाव पड़ता है – विकास सामान्य से तीव्र होता है।
- विकास एक प्रक्रिया है – निरन्तर
- बाल्यावस्था में मस्तिष्क का विकास हो जाता है : – 90 प्रतिशत
- अन्तर्दर्शन विधि में बल दिया जाता है – स्वयं के अध्ययन पर
- बालक को आनन्ददायक सरल कहानियों द्वारा नैतिक शिक्षा प्रदान करनी चाहिए। यह कथन है – कोलेसनिक का
- विकास के सन्दर्भ में मैक्डूगल ने – मूल प्रवृत्यात्मक व्यवहार का विश्लेषण किया।
- जब हम किसी भी व्यक्ति के विकास के विषय में चिन्तन करते हैं तो हमारा आशय – उसकी कार्यक्षमतासे होता है, उसकी परिपक्वता से होता है, उसकी शक्ति ग्रहण करने से होता है।
- संवेगात्मक विकास में किस अवस्था में तीव्र परिवर्तन होता है – किशोरावस्था
- वृद्धि और विकास है – एक-दूसरे के पूरक
- चारित्रिक विकास का प्रतीक है – उत्तेजना
- विकासात्मक पद्धति को कहते हैं – उत्पत्ति मूलक विधि
- मानसिक विकास के लिए अध्यापक का कार्य है – बालकों को सीखनेके पूरे-पूरे अवसर प्रदान करें। छात्र-छात्राओं के शारीरिक स्वास्थ्य की ओर पूर-पूरा ध्यान दें। व्यक्तिगत भेदों की ओर ध्यान देते हुए उनके लिए समुचित वातावरण की व्यवस्था करें।
- वाटसन ने नवजात शिशु में मुख्य रूप से किन संवेगों की बात कही है – भय, क्रोध व स्नेह
- किशोरावस्था की मुख्य समस्याएं हैं – शारीरिक विकास की समस्याएं, समायोजन की समस्याएं, काम और संवेगात्मक समस्याएं
- शैशवावस्था है – जन्म से 7 वर्ष तक
- शिशु का विकास प्रारम्भ होता है – गर्भकाल में
- बाल्यावस्था के लिए पर्याप्त नींद होती है – 8 घण्टे
- बालिकाओं की लम्बाई की दृष्टि से अधिकतम आयु है – 16 वर्ष
- बालक के विकास को जो घटक प्रेरित नहीं करता है, वह है – वंशानुक्रम या वातावरण दोनो ही नहीं
- किसके विचार से शैशवावस्था में बालक प्रेम की भावना, काम प्रवृति पर आधारित होती है – फ्रायड
- रॉस ने विकास ने विकास क्रम के अन्तर्गत किशोरावस्था का काल निर्धारित किया है – 12 से 18 वर्ष तक
- किशोरावस्था की प्रमुख विशेषता नहीं हैं – मानसिक विकास
- बालकों के विकास की किस अवस्था को सबसे कठिन काल के रूप में माना जाता है – किशोरावस्था
- उत्तर बाल्याकाल का समय कब होता है – 6 से 12 वर्ष तक
- बाल्यावस्था की प्रमुख विशेषता नहीं है – अन्तर्मुखी व्यक्तित्व
- संवेगात्मक विकास में किस अवस्था में तीव्र परिवर्तन होता है – किशोरावस्था
- विकासवाद के समर्थक हैं – डिके एवं बुश, गाल्टन, डार्विन
- विकास का तात्पर्य है – वह प्रक्रिया जिसमें बालक परिपक्वता की ओर बढ़ता है।
- Age of Puberty कहलाता है – पूर्ण किशोरावस्था
- व्यक्ति के स्वाभाविक विकास को कहते है – अभिवृद्धि
- बालक के विकास की प्रक्रिया एवं विकास की शुरूआत होती है – जन्म से पूर्व
- ”विकास के परिणामस्वरूप व्यक्ति में नवीन विशेषताएं और नवीन योग्यताएं प्रकट होती है।” यह कथन है – हरलॉक का
- शैक्षिक दृष्टि से बाल विकास की अवस्थाएं है – शैशवावस्था, बाल्यावस्था, किशोरावस्था
- स्किनर का मानना है कि ”विकास के स्वरूपों में व्यापक वैयक्तिक भिन्नताएं होती हैं। यह विचार विकास के किस सिद्धांत के संदर्भ में हैं – व्यक्तिगत भिन्नता का सिद्धान्त
- मनोविश्लेषणवाद (Psyco Analysis) के जनक थे – फ्रायड
- ”मुझे बालक दे दीजिए। आप उसे जैसा बनाना चाहते हों, मैं उसे वैसा ही बना दूंगा।” यह कहा था – वाटसन ने
- सिगमण्ड फ्रायड के अनुसार, निम्न में से मन की तीन स्थितियों हैं – चेतन, अद्धचेतन, अचेतन
- इड (ID), ईगो (Ego), एवं सुपर इगो (Super Ego) को मानव की संरचना का अभिन्न भाग मानता है – फ्रायड
- केवल दो प्रकार की मूल प्रवृत्ति है – मृत्यु एवं जीवन। यह विचार है – फ्रायड
- रुचियों, मूल प्रवृत्तियों एवं स्वाभाविक संवेगों का स्वस्थ विकास हो सकता है यदि – वातावरण जिसमें वह रहता है, स्वस्थ हो
- मूल प्रवृत्ति की प्रमुख विशेषता पायी जाती है – समस्त प्राणियों में पायी जाती है, यह जन्मजात एवं प्रकृति प्रदत्त होती है।
- व्यक्ति के स्वाभाविक विकास को कहते हैं – अभिवृद्धि
- विकास का अभिप्राय है – वह प्रक्रिया जिसमेंबालक परिपक्वता की ओर बढ़ता है।
- संवेग शरीर की वह जटिल दशा है जिसमें श्वास, नाड़ी तन्त्र, ग्रन्थियां, मानसिक स्थिति, उत्तेजना, अवबोध आदि का अनुभूति पर प्रभाव पड़ता है तथा पेशियां निर्दिष्ट व्यवहार करने लगती हैं। यह कथन है – ग्रीन का
- ”वातावरण में सब बाह्य तत्व आ जाते हैं, जिन्होंने व्यक्ति को आरम्भ करने के समय में प्रभावित किया है।” यह परिभाषा है – बुडवर्थ की
- ”विकास के परिणामस्वरूप व्यक्ति में नवीन विशेषताएं और नवीन योग्यताएं प्रगट होती हैं।” यह कथन है – हरलॉक का
- शैक्षिक दृष्टि से बालक के विकास की अवस्थाएं हैं – शैशवावस्था, बाल्यावस्था, किशोरावस्था
- शैशवावस्था की प्रमुख मनोवैज्ञानिक विशेषता क्या है – मूल प्रवृत्यात्मक व्यवहार
- शैशवावस्था में सीखने की प्रक्रिया का स्वरूप होता है – सीखने की प्रक्रिया में तीव्रता होती है।
- बाल्यावस्था का समय है – 5 से 12 वर्ष तक Bal Vikas Shiksha Shastra Notes
- बाल्यावस्था की प्रमुख मनोवैज्ञानिक विशेषता क्या है – सामूहिकता की भावना
- बाल्यावस्था में सामान्यत: बालक का व्यक्तित्व होता है – बहिर्मुखी व्यक्तित्व
- बाल्यावस्था में शिक्षा का स्वरूप होना चाहिए – सामूहिक खेलों एवं रचनात्मक कार्यों के माध्यम से शिक्षा दी जानी चाहिए।
- मानव की वृद्धि एवं विकास की प्रक्रियानिम्न में से किस सिद्धान्त पर आधारित है – विकास की दिशा का सिद्धान्त, परस्पर सम्बन्ध का सिद्धान्त, व्यक्तिगत भिन्नताओं का सिद्धान्त
- ”बालक की अभिवृद्धि जैविकी नियमों के अनुसार होती है।” यह कथन है – हरलॉक का
- निम्न में से कौन-सा कारक व्यक्ति की वृद्धि या विकास को प्रभावित करता है – ग्रीन का
- ”पर्यावरण बाहरी वस्तु है जो हमें प्रभावित करती है।” यह विचार है – रॉस का
- बुद्धि-लब्धि के लिए विशिष्ट श्रेय किस मनोवैज्ञानिक को जाता है – स्टर्न
- शैशवावस्था को जीवन का सर्वाधिक महत्वपूर्ण काल क्यों कहा जाता है – यह अवस्था वह आधार है जिस पर बालक के भावी जीवन का निर्माणहोता है।
- जैसे-जैसे बालक की आयु का विकास होता है वैसे-वैसे उसके सीखने का क्रम निम्नलिखित की ओर चलता है – सूझ-बूझ की ओर
- निम्न में से कौन-सा कथन सही नहीं है – विकास संख्यात्मक
- निम्न में से कौन-सा कथन सही है – वृद्धि, विकास को प्रभावित करती है।
- जिस आयु में बालक की मानसिक योग्यता का लगभग पूर्ण विकास हो जाता है, वह है – 14 वर्ष
- ”मष्तिष्क द्वारा अपनी स्वयं की क्रियाओं का निरीक्षण किया जाता है।” – आत्म-निरीक्षण विधि
- विकासात्मक पद्धति को कहते हैं – उत्पत्तिमूलक विधि
- प्रयोगात्मक विधि में सामना नहीं करना पड़ता है – समस्या का चुनाव
- मानव विकास जिन दो कारकों पर निर्भर करताहै, वह है – जैविक और सामाजिक
- शिक्षक बालकों की पाठ में रुचि उत्पन्न कर सकता है – संवेगों से
- बैयक्तिक भेदों का अध्ययन तथा सामान्यीकरण का अध्ययन किया जाता है – विभेदात्मक विधि में
- एक माता-पिता के अलग-अलग रंग की संतान होती हैं, क्योंकि – जीव कोष के कारण
- बाल विकास को सबसे अधिक प्रेरित करने वाला प्रमुख घटक है – बड़ा भवन
- बाल विकास को प्रेरित करने वाला घटक नहीं है – परिपक्वता
- वातावरण के अन्तर्गत आते हैं – हवा, प्रकाश, जल
- कितने माह का शिशु प्रौढ़ व्यक्ति की मुख मुद्रा को पहचानने लगता है – 4-5 मास का शिशु
- मानसिक विकास के लिए अध्यापक का कार्य है – बालकों को सीखने के पूरे–पूरे अवसर प्रदान करें। छात्र-छात्राओंके शारीरिक स्वास्थ्य की ओर पूरा-पूरा ध्यान दें। व्यक्तिगत भेदों की ओर ध्यान देते हुए उनके लिए समुचित वातावरण की व्यवस्था करें।
- शैशवावस्था होती है – जन्म से 7 वर्ष तक
- वाटसन ने नवजात शिशु में मुख्य रूप में किन संवेगों की बात कही है – भय, क्रोध व स्नेह
- जब माता-पिता के बच्चे उनके विपरीत विशेषताओं वाले विकसित होते हैं, तो यहां पर सिद्धान्त लागू होता है – प्रत्यागमन का
- समानता के नियम के अनुसार माता-पिता जैसे होते हैं, उनकी सन्तान भी होती है – माता-पिता जैसी Bal Vikas Shiksha Shastra Notes
- शिशु का विकास प्रारम्भ होता है – गर्भकाल में
- सामाजिक स्थिति वंशानुक्रमणीय – होती है।
- बालक की मूल शक्तियों का प्रधान कारक है – वंशानुक्रम
- वंश का बुद्धि पर प्रभाव देखनेके लिए सैनिकों के वंशज का अध्ययन किया – गोडार्ड ने
- मूल प्रवृत्ति का प्रतीक होता है – संवेग
- बाल विकास की दृष्टि से सर्वाधिक समस्या का काल होता है – शैशवावस्था
- ”बालक की अभिवृद्धि जैविकीय नियमों के अनुसार होती है।” यह कथन है – क्रोगमैन का
- बालक के विकास को जो घटक प्रेरितनहीं करता है, वह है – वंशानुक्रम या वातावराण् दोनों की नहीं।
- किसके विचार से शैशवावस्था में बालक प्रेम की भावना, काम प्रवृत्ति पर आधारित होता है – फ्रायड
- ”वंशानुक्रम माता-पिता से सन्तान को प्राप्त होने वाले गुणों का नाम है।” यह परिभाषा है – रूथ बैंडिक्ट की
- ”विकास के परिणामस्वरूप व्यक्ति में नवीन विशेषताएं और नवीन योग्यताएं प्रस्फुटित होती है।” यह कथन है – हरलॉक का
- ”वातावरण वह प्रत्येक वस्तु है, जो व्यक्ति के जीन्स के अतिरिक्त प्रत्येक वस्तु को प्रभावित करती है।” यह कथन है – एनास्टासी का
- ”वंशानुक्रम हमें विकसित होने की क्षमता प्रदान करता है।” यह कथन है – लेण्डिस का
- जीवन की प्रत्येक घटना का वंशानुक्रम एवं वातावरण से किस विद्वान ने संबंधित किया है – पेज एवं मैकाइवर ने
- यह मत किसका है –”शिक्षक को अपने कार्य के सफल सम्पादन के लिए व्यावहारिक मनोविज्ञान का ज्ञान होना चाहिए।” – माण्टेसरी का
- वर्तमान समय में विद्यालयों में मैत्री और प्रसन्नता का जो वातावरण दिखता है, उसका कारण है – मनोवैज्ञानिक उपचार
- यह विचार किसका है –”क्योंकि दो बालकों में समान योग्यताएं या समान अनुभव नहीं होते हैं, इसीलिए दो व्यक्तियों में किसी वस्तु या परिस्थिति का समान ज्ञान होने की आशा नहीं की जा सकती।” – हरलॉक का
- लड़कियों में बाह्य परिवर्तन किस अवस्था में होने लगते हैं – किशोरावस्था
- बालक के सामाजिक विकास में सबसे महत्वपूर्ण कारक हैं – वातावरण
- व्यक्तिगत भेद को ज्ञात करने की विधियां हैं – बुद्धि परीक्षण, व्यक्ति इतिहास विधि, रूचि परीक्षण
- बालक से यह कहना ‘घर गन्दा मत करो’ कैसा निर्देश है – निषेधात्मक
- बाल्यावस्था के दो भाग कौन-कौन से हैं – पूर्व बाल्यावस्था तथा उत्तर बाल्यावस्था
- सात वर्ष की आयु में पहुंचते-पहुंचते एक सामान्य बालक का शब्द भण्डार हो जाता है, लगभग – 6000 शब्द
- संकल्प शक्ति के कितने अंग हैं – तीन
- बालक के समाजीकरण का प्राथमिक घटक है – क्रीड़ा स्थल
- बालक के चारित्रिक विकास के स्तर हैं – मूल प्रवृत्यात्मक, पुरस्कार व दण्ड, सामाजिकता
- उत्तर बाल्यकाल का समय कब होता है – 6 से 12 वर्ष तक
- ”बालक की शक्ति का वह अंश जो किसी काम में नहीं आता है, वह खेलों के माध्यम से बाहर निकाल दिया जाता है।” यह तथ्य कौन-सा सिद्धान्त कहता है – अतिरिक्त शक्ति का सिद्धान्त
- भाषा विकास के विभिन्न अंग कौन से हैं – अक्षर ज्ञान, सुनकर भाषा समझना, ध्वनि पैदा करके भाषा बोलना
- स्टर्न के अनुसार खेल क्या है – खेल एक ऐच्छिक, आत्म-नियन्त्रित क्रिया है।
- संवेगात्मक स्थिरता का लक्षण है – भीरू
- अभिप्रेरणा का महत्व है – रूचि के विकास में, चरित्र निर्माण में, ध्यान केन्द्रित करने में
- भाषा विकास के क्रम में अन्ति क्रम (सोपान) है – भाषा विकास की पूर्णावस्था
- शिक्षा का कार्य है – अर्जित रूचियों को स्वाभाविक बनाना।
- बालक के सामाजिक विकास में सबसे महत्वपूर्ण कारक कौन-सा है – वातावरण
- संवेगात्मक विकास में किस अवस्था में तीव्र परिवर्तन होता है – किशोरावस्था
- बालक का शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और संवेगात्मक विकास किस अवस्था में पूर्णता को प्राप्त होता है – किशोरावस्था
- चरित्र को निश्चित करने वाला महत्वपूर्ण कारक है – मनोरंजन सम्बन्धी कारक
- जिस आयु मेंबालक की मानसिक योग्यता का लगभग पूर्ण विकास हो जाता है, वह है – 14 वर्ष
- शिक्षा की दृष्टि से बाल की महत्वपूर्ण आवश्यकता क्या है – बालकों के साथ मनोवैज्ञानिक व्यवहार की आवश्यकता
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